सच्चे इंसान की कहानी – Best Sacche Insan Ki Kahani In Hindi2023

यह एक सच्चे इंसान की कहानी है ( Short Moral Stories In Hindi ) । जिसकी किस्मत दुसरो की भलाई करने के वजह से कितनी बदल गई।

सच्चे इंसान की कहानी

किसी नगर में एक बहुत धनी शेठ रहते थे। भगवान् के ऊपर उनकी बहुत आस्था थी, उन्होंने ग़रीबो और असहाय लोगो की मदद करने का सोचा। इसलिए उन्होंने नगर में एक मंदिर बनवाया।

पूजा करने के लिए एक पुजारी की नियुक्ति भी की और बहुत सारी जमीन के नाम की जिससे मंदिर में होने वाले खर्चे में कोई कमी ना आ सके।साथ ही धनी शेठ जी ने मंदिर के पास एक धर्मशाला भी बनवाया।

जिससे कोई भी गरीब इंसान, दीन-दुखी या कोई मुसाफिर भी वहां आये तो उसे रुकने में कोई परेशानी ना हो, उसका जब तक मन करे तब तक वहां रुके और भोजन के लिए मंदिर से प्रसाद मिलता रहे। उन्होंने ने अपने तरफ से लोगो की भलाई के लिए कोई कमी नहीं छोड़ी।

काफी समय तक सब कुछ अच्छा चलता रहा, फिर शेठ जी को लगा की उनके ना रहने के बाद ये सब का प्रबंध कौन करेगा। मंदिर का काम, लोगो को कोई परेशानी तो नहीं हो रही है ये सब देखने के लिए उन्हें एक सच्चे इंसान ( सच्चे इंसान की कहानी ) की तलाश थी।

इसलिए उन्होंने नगर में सूचना फैला दी की उन्हें मंदिर के देख रेख के लिए एक आदमी की जरूरत है। बहुत से लोग उनसे मिलने आये, की अगर मदिर की व्यवस्था का काम मिल जाये तो वेतन भी अच्छा मिलेगा, पर धनी शेठ जे सब को ये कह के लौटा देते की उन्हें एक सच्चे इंसान की तलाश है।

कई लोगो को शेठ जी की बात समझ में नहीं आती की वो ऐसा क्यों कह रहे है, और कई लोग उन्हें बोलते की अब शेठ जी पगला रहे है। पर शेठ जी किसी के बात पे ध्यान नहीं देते।

वो बस उस इंसान की तलाश कर रहे थे, जिसके ऊपर वो मंदिर का कार्यभार दे सके। शेठ जी रोज अपने घर की छत पे बैठ के मंदिर में आने जाने वालो को बड़े ध्यान से देखा करते थे।

एक दिन एक आदमी मंदिर में भगवान् के दर्शन करने आया, देखने से वो इंसान बहुत गरीब लग रहा था, ना ही वो पढ़ा लिखा लग रहा था, ना ही उसका पहनावा अच्छा था।

जब वह दर्शन कर के वापस जाने लगा तो, धनी शेठ जी ने उसे अपने पास बुलाया और उससे कहा – क्या आप इस मंदिर की व्यवस्था का कार्यभार संभालेंगे।

वो इंसान थोड़ा सहम सा गया। उसने शेठ जी से कहा – मैं तो पढ़ा लिखा भी नहीं हु मैं ये काम कैसे कर सकता हु। तब शेठ जी ने कहा मुझे पढ़े लिखे लोगो की तलाश नहीं। मुझे तो एक सच्चे इंसान की तलाश थी जो इस मंदिर की देख रेख कर सके।

तब उस इंसान ने कहा – अपने इतने सारे लोगो में मुझे ही सच्चा इंसान कैसे माना ? फिर उस धनी शेठ ने कहा मैं जनता हु की तुम एक सच्चे इंसान हो। मंदिर के रास्ते में एक पत्थर का टुकड़ा गड़ा रह गया था।

और वो एक साइड से जमीन से बहार निकला हुआ था। मैं हमेसा अपने घर की छत से बैठ के देखता था, उस पत्थर के टुकड़े की नोक से लोगो को ठोकर लगती थी, लोग गिरते फिर उठ के चले जाते।

आज मैंने देखा तुम्हे ठोकर लगी भी नहीं फिर भी तुमने उस पत्थर को हटाने का प्रयास किया, और जब वो पत्थर नहीं हटा तो तुम मंदिर के मजदूर के फावड़ा ले के आये और उस पत्थर को हटा के वह की मिट्टी बराबर कर दी।

गरीब इंसान ने कहा – इसमें कौन सी बात है। रास्ते में पड़े कंकड़ पत्थर को हटा देना चाहिए ताकि किसी को चोट न लगे, यह तो हर मनुष्य का कर्त्तव्य है। तब शेठ जी ने कहा बिल्कुल सही। अपने कर्तव्य को जानने वाला और उसका पालन करने वाला ही एक सच्चा इंसान है। शेठ जी ने उसे मंदिर का कार्यभार सौप दिया।

सारांश – कहानी से हमें ये शिक्षा मिलती है, की प्रत्येक मनुष्य को अपने कर्तव्य का पालन करना चाहिए। भले वो आपके हित के लिए हो या ना हो अगर आप उस कार्य को कर सकते है तो जरूर करे जिससे दुसरो की भलाई हो। सच्चे इंसान की कहानी Short  Moral Stories In Hindi आपको कैसी लगी हमे comment कर के जरूर बताये।

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