सात दिनों का खेल – Best Acche Vyavhar Par Kahani – अच्छे व्यवहार की कहानी 2023

Acche Vyavhar Par Kahani ” एक समय की बात है एक गुरुकुल में, कई सारे शिष्य एक साथ रहकर पढ़ाई करते थे। इन सारे शिष्यों में एक ऐसा शिष्य था, जो बहुत ही ज्यादा गुस्से वाला था। उसे हर बात पे ही दुसरो पे गुस्सा आ जाता था।

इस कारन वह कभी भी किसी से अच्छा संबंध नहीं बन पाता था, और इसीलिए वह अकेला और दुखी रहता था। शिष्य हमेशा हैरान रहता था कि उसके गुरु को कभी गुस्सा नहीं आता! वे कभी भी किसी पर नाराज नहीं होते, बस हमेशा मुस्कुराते ही रहते थे।

Acche Vyavhar Par Kahani

एक दिन वह शिष्य अपने गुरु के पास गया और हाथ जोड़कर पूछा… “गुरुजी, आप कैसे इतना अच्छा व्यवहार सबसे बना के रख लेते हैं? क्या आपको कभी भी गुस्सा नहीं आता। इसका रहस्य क्या है? मुझे भी बताइए।”

गुरु जी अपने ने शिष्य से कहा, “मेरा जो रहस्य है, वो तो मैं तुम्हे नहीं बताऊंगा, मगर तुम्हारा एक रहस्य जो मुझे पता है। अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हें वह रहस्य बता सकता हूँ!” शिष्य को बड़ा आश्चर्य हुआ, उसने अपने गुरु से कहा “मेरा रहस्य? बताइए, मैं जानना चाहता हूँ।”

गुरु जी ने कहा, ” बेटे अब तुम्हारे पास, जीने के लिए सिर्फ सात दिन ही बचे हुए हैं! यही तुम्हारा रहस्य है।” शिष्य को यह बात सुनकर बहुत हैरानी हुई। अगर किसी और ने यह बात कही होती तो, वह इस बात को मजाक समझ कर टाल दिया होता।

लेकिन इस बात को खुद उसके गुरु ने कहा था, इसलिए उसे पूरा यकीन हो गया कि यह बात सच है। फिर उसने अपने गुरु को प्रणाम किया और वहां से चला गया। अगले दिन से ही शिष्य बिल्कुल बदल गया।

वह सभी के साथ अच्छे से बात करने लगा। पहले वह लोगों से नाराज रहता था, उन पर गुस्सा आता था, लेकिन अब वह सबसे संयमपूर्वक व्यवहार कर रहा था। अगर कोई उससे गलती से कुछ कह देता, तो भी वह माफी मांग लेता था।

उसने इन 7 दिनों में उन सभी से माफी मांगी, जिसको उसने कभी ना कभी दुख पहुंचाया था। देखते-देखते सात दिन बीत गए। शिष्य ने सोचा कि अब उसका आखिरी समय आ गया है। इसलिए आखिरी बार गुरु का आशीर्वाद ले लिया जाए।

शिष्य सीधे अपने गुरु के पास पहुंचा और बोला “गुरुजी, मेरा आखिरी समय आ गया है, इसलिए कृपया आप मुझे आशीर्वाद दीजिए।” गुरु ने कहा, “मेरा आशीर्वाद हमेशा तुम्हारे साथ है।(Acche Vyavhar Par Kahani)

पहले तुम बताओ, तुम्हारे सात दिन कैसे बीते? क्या तुमने किसी से, फिर से झगड़ा किया?” शिष्य ने कहा, “नहीं, अब मैंने किसी से झगड़ा नहीं किया। मुझे पता था कि मेरे पास सिर्फ सात दिन बचे हैं, इसलिए मैंने इन दिनों को बेकार चीजों में व्यर्थ नहीं किया।”

गुरु जी मुस्कुराए और अपने शिष्य से बोले, “तुम उस दिन, मुझसे मेरा रहस्य पूछ रहे थे ना? यही मेरा रहस्य है। मैं नहीं जानता कि कब मेरी मृत्यु हो जाएगी। इसलिए मैं हमेशा उसी हिसाब से अपना जीवन जीता हूँ, कि मैं कभी भी मर सकता हूँ।

मैं उन सभी बेकार चीजों से दूर रहता हूँ। जो किसी को दुःख पहुंचाती हैं, किसी को नुकसान पहुंचाती हैं और किसी के मन को दुखी करती हैं।” अब शिष्य को समझ में आ गया था।

कि गुरु ने उसे, जीवन का सबसे बड़ा सबक देने के लिए यह सात दिन वाला झूठ बोला था। शिष्य ने अब जीवन भर के लिए उस बात को याद रखा और हमेशा लोगों के साथ अच्छा व्यवहार किया।

शीख : दोस्तों, इसी तरह से हमारे जीवन में भी सिर्फ सात दिन ही बचे होते हैं? रविवार से शनिवार ! इसलिए हमें भी हमेशा यही कोशिश यही  करनी चाहिए की सबके साथ अच्छा व्यवहार बनाये।

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