भूतिया हवेली की कहानी | Best Bhutiya Haveli Story In Hindi 2023

यह कहानी है भूतिया हवेली ( Bhutiya Haveli ) के बारे में। बहुत साल पहले की बात है। सीतापुर नाम का एक गांव था। उस गांव में एक बहुत ही बड़ी हवेली थी। वहा सिर्फ भूतो का ही वास था, जो भी उस हवेली में जाता था,  भूत उसे मौत के घाट उतार देता था। और उसके कटे हुए सिर को बाहर रास्ते में फेक देता था।

ताकि लोग समझ जाए की इस हवेली पर सिर्फ मेरा राज चलेगा और किसी का भी नहीं। इसी डर से लोग वहा कभी नहीं जाते थे और इसीलिए उसे खूनी हवेली भी कहा करते थे।

उस हवेली ( Bhutiya Haveli ) में रहने वाले भूत ने  इतना दहसत फैला रखा था की लोग उस हवेली के आस पास भी जाना नहीं चाहते थे। यहा तक की भेड़ बकरी भी अगर गलती से घास चरते चरते वहा पहुंच गए तो वो भी तुरंत अपना दुम दबाकर भाग जाते थे क्योंकि वह भूत जानवरो को भी नहीं छोड़ता था।

एक दिन अमावस की रात थी। आसमान में बहुत बादल घिरे हुए थे, और बारिश भी जोरो की हो रही थी। उसी गांव के तीन दोस्त राजू, शिवम, और दीपक उसी रास्ते से स्टेशन जा रहे थे। उन्हें शायद उस हवेली और उस रास्ते के बारे में कुछ पता नहीं था।

रात के 1:15 का ट्रेन का समय था। और ये तीनों करीब आठ बजे के लगभग घर से निकल गए थे। बारिश इतनी ज्यादा थी की रास्ते में सामने का कुछ दिख नहीं रहा था।

उनकी गाड़ी उस हवेली से होकर गुजर रही थी। सामने पूरा अंधेरा था और आसमान में बिजली जैसे ही चमक रही थी वह हवेली और भयानक लग रही थी। तीनों की किस्मत इतनी ख़राब थी की उनकी गाड़ी उस हवेली के ठीक सामने ही आकर खराब हो गई।

ड्राइवर बोला – साहब लग रहा हैं की इंजन में पानी चला गया हैं गाड़ी स्टार्ट ही नहीं हो रहा हैं। इसको ठीक करने में शायद एक घंटा लग जायेगा। तब तक आपलोग इस हवेली में जाइय, जैसे ही गाड़ी ठीक हो जाएगी मैं आपलोगो को वापस बुला लूंगा।

ड्राइवर की बात सुनकर राजू, शिवम और दीपक हवेली के अंदर चले गए। हवेली बहुत ही सुन्दर और चमकदार थी। अंदर थोड़ी सी रौशनी थी। और ऊपर सीढ़ियों से एक बूढा सा आदमी एक हाथ में लाठी और दूसरे में लालटेन लेकर निचे उतर रहा था।

राजू ने उससे पूछा –  बाबा क्या हम यहाँ थोड़ी देर रुक सकते हैं , बाहर बहुत तेज बारिश हो रही हैं और हम इस तेज बारिश के वजह से बीच  रास्ते में फस गए हैं।

यह कहानी है भूतिया हवेली के बारे में ( Bhutiya Haveli )

उसने पहले तो उन तीनों को गौर से देखा और बोला ठीक हैं रुक जाओ। फिर जब वे तीनों हॉल में पहुचे तो उनलोगों ने देखा की हवेली बहुत ज्यादा बड़ी थी और उससे कई गुना ज्यादा खूबसूरत भी थी। वहाँ एक दीवाल पर एक आदमी की बहुत बड़ी तस्वीर लगी हुई थी।

जिसकी बड़ी सी मुछे, एक हाथ में तलवार और दूसरे हाथ में पहले ज़माने के तरह बंदूक था। एक दम राजा की तरह और उस तस्वीर को देखने में डर महसूस हो रहा था, ऐसा लग रहा था की ये कोई मामूली तस्वीर नहीं हैं।

दीपक ने तुरंत उस बाबा से पूछा- बाबा क्या आप इतने बड़े हवेली में अकेले रहते हो और इस तस्वीर में ये आदमी कौन है। बाबा ने दीपक से आँख से आँख मिलाकर कहा – ये इस घर का मालिक थे जो कई साल पहले इनकी मौत हो गई और मैं इनका रिस्तेदार हूँ और इस हवेली की देखभाल के लिए आता जाता रहता हूँ।

आज बारिश की वजह से मैं भी घर नहीं जा पाया। चलो मैं तुमलोग को कमरा दिखा देता हूँ। राजू, शिवम और दीपक उसके पीछे पीछे चल दिए। वे लोग सीढ़ी के सामने जैसे ही गए तो ऐसा लगा की कोई उन्हें छुप कर देख रहा हैं।

फिर उनलोग ने अनदेखा कर दिया। कमरे तक जाते जाते अचानक  उनलोग की नजर वापस राजा की तस्वीर पर पड़ी, थोड़ी देर के लिए उन्हें ऐसा लगा की उसके हाथ और सिर हिला। शायद सबका वहम था या सच, पता नहीं। लेकिन ये सब देख कर उनलोग थोड़ा डर गए थे।

फिर वो बाबा उन सब को एक कमरे में लेकर गया। फिर उनलोगों ने अपना अपना सामान रखा और सो गए। वे लोग इतना थक चुके थे की बिस्तर पर लेटते ही नींद आ गई। रत के शायद बारह बजे का समय हुआ होगा तभी शिवम् अचानक चिल्लाने लगा।

उसकी आवाज सुनकर उसके दोनों दोस्त जग गए और उससे पूछने लगे। क्या हुआ भाई ? तू इतना जोर से क्यों चिल्लाया। फिर शिवम बोला – मुझे एक बहुत डरावना सपना आया था। मैंने देखा की उस फोटो वाला आदमी हम तीनों को मारने आया हैं।

शिवम की बात सुनकर राजू और दीपक को मज़ाक लगा इसलिए उनदोनो ने उसे समझाया और दुबारा सुला दिया। और खुद सो गए। फिर थोड़ी देर बाद बिलकुल वही सपना राजू और दीपक को आया।

इसके बाद तीनों डर गए। अब उनलोग को इतना तो समझ आ गया था की। एक ही सपना हम तीनों को नहीं आ सकता। इस हवेली में कुछ तो गड़बड़ हैं। सायद ये कही भूतिया हवेली ( Bhutiya Haveli ) तो नहीं है।

दीपक ने जल्दी से जाकर दरवाजा खोलने की कोशिश किया लेकिन वो बाबा बाहर से दरवाजा बंद कर के चला गया था। अब उनलोग को समझ नहीं आ रहा था की क्या करें। डर के मारे सब को जोरो से प्यास लग रही थी।

साथ में पानी लाये थे लेकिन एक ही घुट पिने में सब पानी खत्म हो गया। फिर तीनों खिड़की से आवाज लगाने लगे लेकिन बाहर से कोई जवाब नहीं आ रहा था।

दीपक ने अपना मोबाइल उठाकर फ़ोन करना चाहा लेकिन वहाँ नेटवर्क ही नहीं था। सब कुछ बहुत अजीब हो रहा था। अब उनके साथ आगे क्या होने वाला था, ये किसी को नहीं पता था। लेकिन उन्हें समझ आ गया था की वो बहुत बुरी तरह से फस गए हैं।

पुरा एक दिन और एक रात बीतने के बाद उनके कमरे का दरवाजा खुला। बाहर पुरा सन्नाटा था और जो बाबा उनको मिला था उसका भी कोई पता नहीं था। जैसे ही दरवाजा खुला तीनों पागलो की तरह दौड़ कर कमरे से बाहर निकले और हवेली से बाहर निकलने का रास्ता ढूंढ़ने लगे।

लेकिन बाहर जाने का कोई रास्ता नहीं था। फिर सब लोग ऊपर चले गए और वहाँ से निचे कूदने का सोचा। लेकिन हवेली इतनी ऊंचा था की उनलोग का हिम्मत ही नहीं हुई। उदास होकर सभी वापस नीचे आ गए।

सबको बहुत तेज भूख और प्यास लगी थी। सब जगह देखा लेकिन उन्हें न ही कुछ खाने को मिला और न ही कुछ पीने को। नल तो था लेकिन उसमे पानी नहीं आ रहा था।

सब थक के एक जगह बैठ गए और अब क्या करें यही सोच कर एक दूसरे से पागलो की तरह बर्ताव करने लगे। थोड़ी ही देर में शाम हो गई और उस हवेली ( Bhutiya Haveli ) के अंदर एक शैतानी माहौल बनना चालू होने लगा। थोड़ी देर में अंधेरा हो गया और तीनों दोस्त आपस में लड़ने लगे।

ऐसे ही उनलोग की रात बीत जाती है फिर दूसरे दिन सुबह होती हैं और फिर से सबको दुबारा से भूख और प्यास लगी होती हैं। सुबह फिर से सब लोग पानी खोजते हैं तभी अचानक शिवम का पैर सीढ़ियों से फिसल जाता हैं और उसके पैर से खून निकलने लगता हैं।

खून को देखते ही राजू और दीपक पागलो की तरह खून को पिने लगते हैं। तभी शिवम कहता हैं – अरे पागल हो गए क्या तुमलोग, क्या कर रहे हो। जानवर हो क्या।

शिवम की बात पे कोई भी ध्यान नहीं देता हैं। और उसके खून को पीते रहते हैं। खून को पीने से उनकी थोड़ी सी प्यास बुझ जाती हैं। लेकिन अब भूख के मारे उनकी जान निकलने लगी। रात हो गई थी। राजू और दीपक के अंदर शैतान समा गया था।

वे दोनों शिवम के ऊपर टूट पड़े और उसे नोंचने लगे। खुनी खेल चालू हो गया था। उस हवेली ( Bhutiya Haveli ) में जो शैतान रह रहा था वो उनदोनो को अपने बस में कर लिया था।

थोड़े ही देर में राजू और दीपक शिवम के शरीर को काट काट कर, टुकड़े टुकड़े कर दिए। और उसके मांस को खाते रहे और खून को पिने रहे। शिवम की जान बची ही कितनी थी। इतने दिन का भूखा दोनों से बच नहीं पाया।

शिवम की मौत हो गई। राजू और दीपक काफ़ी देर तक उसका मांस खाते रहे। जैसे कोई जानवर दूसरे जानवर का मांस नोच कर खा रहा हो। ऐसा लग रहा था की उनलोग के अंदर का इंसान मर गया हो।

कुछ देर बाद रात हो गई। खून पी कर और मांस खा कर दोनों को अब बहुत जोरो की नींद आने लगी। और वे जहाँ थे वही सो गए। सुबह हुई। दोनों थके हालत में सो के उठे। लेकिन प्यास और भूख उनका पीछा कहा छोड़ने वाली थी।

अब दोनों एक दूसरे का शिकार करने के लिए सोचने लगे। राजू ने चालाकी से एक दरवाजे के पीछे छुप गया और जैसे ही दीपक कमरे में आया वैसे ही राजू ने उसका सर पकड़ कर दीवाल में दे मारा। उसका सर फट कर दो टुकड़ा हो गया।

जमीन पर पुरा खून ही खून बहने लगा। राजू उसका खून देख कर ख़ुश हो गया और उसे पिने लगा। और मांस को खाने लगा। हैवानियत अपने चरम सीमा पर थी। शैतान उसके ऊपर हावी हो चूका था। उसे कुछ सोचने समझने का मौका ही नहीं दे रहा था।

तभी कुछ देर बाद राजू के शरीर में एक बिजली सी लहर चढने लगी। वो कभी दीवाल में तो कभी दरवाजे में अपने सर को मारने लगा। उसका शरीर उसके वस में नहीं था। ऐसे ही काफ़ी देर तक किया और अंत में खुद मर गया।


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