बिना विचारे जो करे सो पाछे पछताए | Bina Vichare Jo Kare So Pache Pachtaye Best Story 2023

Bina Vichare Jo Kare So Pache Pachtaye Ka Arth

बिना विचारे जो करे सो पाछे पछताए  ( Bina vichare Jo Kare So Pache Pachtaye ) इसका अर्थ है कि अगर हम कोई कार्य या निर्णय बिना विचार किये कर लेते हैं, तो बाद में हमें पछताना पड़ सकता है।

यह वाक्य हमें समझाता है कि हमें सोच-समझकर और योजना बनाकर ही किसी काम को करना चाहिए, ताकि हम बाद में पछतावे से बच सकें। कहां जाता है किसी भी कार्य को करने से पहले उसके परिणाम और उसके विषय में अच्छे से सोच लेना चाहिए।

बिना परिणाम जाने कोई भी किए गए कार्य पर हमेशा लेने के देने पड़ जाते हैं। इसलिए कहते हैं कि किसी भी कार्य को करने से पहले उसके परिणाम के बारे में अच्छी तरीके से  सोच लेना चाहिए।

बिना विचारे जो करे सो पाछे पछताए
काम बिगाड़े आपनो जग में होत हंसाय

Bina Vichare Jo Kare So Pache Pachtaye Ki Kahani 

1. कहानी

किसी घने जंगल में, एक बरगद के पेड़ से बहुत सारे बगुले अपना घर बना के रहते हैं। उसी बरगद के पेड़ के नीचे एक काला नाग रहता था। वह नाग बरगद के पेड़ पर चढ़कर बगुलों के बच्चों तथा उनके अंडों को खा जाया करता था। उस नाग का सामना बगुले नहीं कर पाते थे।

इस कारण वे बेचारे बस अपने बच्चो को मरते हुए देखा करते थे। जब यह सिलसिला बहुत ही ज्यादा बढ़ गया तो सारे बगुले मिलकर इस समस्या से निजात पाने का उपाय सोचने लगे।

उनमे जो सबसे बड़ा बगुला था, उसने एक उपाय बताया। कि सांप का दुश्मन नेवला होता है, अगर कहीं से, यहां पर नेवला आ जाए तो वह सांप को देखते ही मार डालेगा और अगर सांप मर गया तो हमारी समस्या का समाधान हो जाएगा।

सारे बगुलों को यह उपाय सही लगा और सब ने हामी भर दी। मगर इस बात की दिक्कत थी कि नेवले को यहां तक लाया कैसे जाएं। काफी सोच विचार के बाद यह निष्कर्ष निकला कि जहां नेवला रहता है उसके बिले से लेकर, सांप के बिल तक मछलियों की लाइन लगा दी जाए।

ताकि नेवला उन मछलियों को खाते-खाते सांप के बिल तक आ जाएं और सांप को मार दे। बस फिर क्या था, सारे बगुलों ने उड़ान भरी और नदी से सभी मछलियां पकड़ पकड़ कर, नेवले के बिल से सांप के बिल तक सभी ने मछलियों की लाइन लगा दी।

थोड़ी देर बाद जब नेवला अपने बिल से बाहर निकला तो उसने मछलियां देखी। वह उन मछलियों को खाते हुए आगे की ओर बढ़ने लगा। वह मछलियां खाते – खाते हुए सांप के बिल तक पहुंच गया। जैसे ही वह सांप के बिल के पास पहुंचा।

तो नेवले वहां उस काले सांप को देख लिया। उसने तुरंत ही सांप पर झपट्टा मारकर उसे जान से मार दिया। सांप को मरते हुए देख सारे बगुले  खुश हो गए। मगर नेवला यहां तक ही नहीं रुका।

उसकी नजर बरगद के पेड़ पर बने हुए घोसलो पर गई वह तुरंत ही पेड़ पर चढ़ गया और और बारी-बारी से सारे घोसलो में जाकर बगुलों के बच्चे तथा अंडो को खा गया। सांप और नेवले दोनों ही बगुलों के दुश्मन होते हैं।

बिना ही परिणाम पे  विचार किए, बगुलों ने एक शत्रु को मारने के लिए दूसरे शत्रु को आमंत्रित कर दिया था। इसलिए सांप से उन्हें तो छुटकारा मिल गया। नेवले ने उनके बच्चों को जान से मार दिया, अब बेचारे बगुलों के पास पछताने के सिवाय कोई दूसरा रास्ता नहीं था। इसलिए कहा जाता है Bina Vichare Jo Kare So Pache Pachtaye

2. कहानी

एक गांव में एक किसान रहता था। वह अपने घर में एक नेवले को पाल के रखा था। वह नेवले से बहुत प्यार करता था, तथा नेवला भी किसान के प्रति बहुत ज्यादा वफादार था। वह बहुत ही समझदार भी था।

साथ ही वह घर के छोटे-छोटे कामों में किसान की मदद भी किया करता था। एक दिन किसान खेतों के लिए, बीज लेने के लिए, शहर गया हुआ था। उसी दिन किसान की पत्नी अपने छोटे से बेटे को दूध पिला कर सुला दिया और नेवले को अपने बेटे के पास छोड़कर पानी भरने के लिए चली गई।

जैसे ही किसान की पत्नी पानी भरने के लिए घर से बाहर गई, तभी घर में एक काला सांप बिल से बाहर निकला। जैसे ही वह सांप किसान के बेटे की ओर जाने लगा, तब नेवले ने सांप को बच्चे की ओर जाते देख लिया।

नेवला तुरंत ही सांप के ऊपर टूट पड़ा और सांप के टुकड़े-टुकड़े करके उसे मार दिया। फिर वह नेवला घर के बहार दरवाजे पर खड़ा होकर किसान की पत्नी का वापस आने का इंतजार करने लगा।

जब किसान की पत्नी वापस आई तो उसने दरवाजे पर खड़े नेवले के मुंह में खून देखा तो उसे लगा कि, नेवले ने उसके बच्चे को काटा है। तभी उसने गुस्से में आकर पानी से भरा हुआ घड़ा नेवले के ऊपर पटक दिया।

बेचारा नेवला वहीं छटपटा कर मर गया। फिर जब किसान की पत्नी जल्दी से दौड़कर घर के अंदर गई तो। अंदर पहुंचते ही उसने देखा की  उसका बेटा तो आराम से सो रहा है। और उसके बेटे के पास एक सांप मरा हुआ पड़ा है।

सांप को देखते ही किसान की पत्नी को यह समझने में देर नहीं लगी कि नेवले के मुंह में लगा हुआ खून इस सांप का था। उसे अपनी भूल का अहसास हुआ, वह जल्दी से दरवाजे के बाहर आई और मरे हुए नेवले को गोद में उठा कर रोने लगी। लेकिन उसके रोने का कोई लाभ नहीं। इसीलिए कहा गया

बिना विचारे जो करे सो पाछे पछताए

काम बिगाड़े आपनो जग में होत हंसाय

 

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