Doobte Ko Tinke Ka Sahara Best Story 2023 | डूबते को तिनके का सहारा कहानी

Doobte Ko Tinke Ka Sahara Ka Arth

“डूबते को तिनके का सहारा” ( Doobte Ko Tinke Ka Sahara ) का अर्थ होता है कि, कई बार इंसान के जीवन में ऐसा समय आता है जब वह कुछ कठिनाइयों से घिर जाता है, और वह उससे निकलने का रास्ता ढूंढता है। पर कोई रास्ता नहीं दिखाई देता, ऐसे समय में एक छोटा सा सहारा भी उसके बहुत काम आ सकता है।

और उस सहारे के कारण वह उस कठिनाई से बाहर निकल सकता है। किसी छोटे सहारे की मदद से जब हम किसी कठिन समस्या को हल कर लेते है तो उसे ही कहते हैं डूबते को तिनके का सहारा

Doobte Ko Tinke Ka Sahara Ki Kahani

1. कहानी

यह एक मुहावरों की  कहानी है। बाबर के मरने के बाद जब उसका बेटा क्यों हुमायूं बादशाह बना, तब तक मुगलों का शासन पूरी तरीके से जमा नहीं था। कई प्रदेशों के राजा खुद को स्वाधीन घोषित कर रहे थे, उसी समय शेरशाह सूरी भी अपनी शक्ति बढ़ा रहा था ।

उसने मुगलों के कई इलाके को अपने कब्जे में ले लिया था, जब यह बात हुमायूं को पता चली तब हुमायूं एक बहुत बड़ी सेना लेकर शेरशाह  सूरी को मारने निकल पड़ा।

मुगल सेना की आने की खबर सुनकर शेरशाह सूरी राजधानी छोड़कर भाग गया, इस प्रकार हुमायूं की सेना बिना लड़े ही यह युद्ध जीत गई, और वहीं रुक कर खुशियां मनाने लगी। कुछ दिनों बाद बरसात चालू हो गई और मुगल सेना का दिल्ली की तरफ जाने का रास्ता बंद हो गया।

इधर शेरशाह सूरी भी कई छोटे-छोटे इलाकों अपना कब्जा करने लगा। हुमायूं की सेना तो निश्चित हो चुकी थी कि, शेरशाह सूरी अब उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता, मगर शेरशाह सूरी ने अपनी ताकत और मजबूत की और चुपके से मुगल सेना पर आक्रमण कर दिया।

मुगल सेना शेरशाह सूरी का मुकाबला नहीं कर सकी, और तितर-बितर हो गई। वहीं हुमायूं खुद को जैसे तैसे बचाकर वहां से भाग कर किसी तरह बक्सर के पास गंगा तट पर पहुंचा।

शेरशाह सूरी के सैनिक हुमायूं को मारने के लिए उसकी तलाश कर रहे थे, हुमायूं के पास बचने का सिर्फ एक ही तरीका था कि वह गंगा नदी को जैसे भी पार करके दूसरी तरफ निकल जाए ताकि उसकी जान बच जाये।

किंतु गंगा के तट पर ना तो कोई नाव थी, और ना ही कोई छुपने की जगह। थका हारा हुमायूं जान बचाने की कोशिश में व्याकुल होकर निराश हो गया। तभी उसे एक आदमी दिखा, वह गंगा नदी से अपने चमड़े के पात्र में पानी भर रहा था।

हुमायूं ने उस आदमी को पूरा किस्सा बताया, और उससे नदी पार करने की सहायता मांगा। उस आदमी ने हुमायूं से कहा यहां तो कोई नाव नहीं है, जिससे आप इस गंगा नदी को पार कर सकें।

मगर आप चाहते हैं तो इस चमड़े के पात्र में बैठकर नदी को पार कर सकते हैं। इसके अलावा यहाँ कोई भी दूसरा उपाय नहीं। मैं आपकी बस यही सहायता कर सकता हूं।

हुमायूं को डूबते को तिनके का सहारा मिला। दूसरा कोई रास्ता ना होने के कारण हुमायूं उस चमड़े के पात्र में बैठकर गंगा नदी पार करने को तैयार हो गया।

फिर उस आदमी ने उस चमड़े के पात्र में पूरी तरह हवा भरकर उसका मुंह अच्छे से बांध दिया और वह चमड़े का पात्र नदी में तैरने लगा, उसी को पकड़कर हुमायूं जैसे तैसे नदी को पार कर गया। फिर वहां से वह दिल्ली आ गया।

हुमायु अपनी जान बचने के लिए एक चमड़े के पात्र के सहारे गंगा नदी पार कर गया इसी को कहते हैं डूबते हुए को तिनके का सहारा।

2. कहानी

एक समय की बात है, एक छोटे से गांव में एक राजू नामक का व्यक्ति रहता था। राजू को उसकी दयालु और सहायतापूर्ण स्वभाव के लिए जाना जाता था। वह हमेशा दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहता था। और उनके चेहरों पर मुस्कान लाने की कोशिश करता था।

एक दिन सुबह-सुबह, जब राजू गांव के तालाब के पास जा रहा था, तो उसने तलाब के किनारे एक अफ़रातफ़री देखी। वह जल्दी से ये देखने के लिए वहां पहुंच गया की आखिर वहां क्या हो रहा है। उसने देखा कि एक आदमी उस तालाब में डूब रहा है और बचने के लिए प्रयास कर रहा है।

राजू ने तुरंत एक लम्बी लकड़ी ढून्ढ के लाया, और दौड़ते हुए उस डूबते आदमी के पास पहुंचा। फिर राजू ने लकड़ी को उस आदमी की तरफ बढ़ाया और उसे लकड़ी को पकड़ने के लिए कहा।

 

अवलोकन – rshindi.com के द्वारा बताई गई, ( Doobte Ko Tinke Ka Sahara) डूबते को तिनके का सहारा की कहानी आपको कैसी लगी हमें comment कर के जरूर बताये।

आप हमें Facebook में भी follow कर सकते है।

Leave a Comment