मन चंगा तो कठौती में गंगा कहानी – Man Changa To Kathauti Me Ganga – Best Story 2023

Man Changa To Kathauti Me Ganga Ka Arth

“मन चंगा तो कठौती में गंगा” (Man Changa To Kathauti Me Ganga) का अर्थ होता है कि यदि मन साफ हो और संकल्प दृढ़ हो, तो बड़ी बड़ी बाधाओं को भी पार किया जा सकता है।

यह कहावत दृढ़ संकल्प और अपार सामर्थ्य को दर्शाती है, और हमें यह बताती है कि यदि मन और इच्छाशक्ति दृढ़ हो तो कोई भी लक्ष्य हमरे लिए बड़ा नहीं हो सकता है।

यह वाक्य या मुहावरा मनुष्य को सच्ची सफलता की ओर प्रेरित करता है, साथ ही साथ उसे यह बताता है कि अगर वह अपनी सोच और संकल्प को निरंतर और दृढ़ता से बनाए रखता है, तो उसे किसी भी परिस्थिति में सफलता की ओर जाने से कोई रोक नहीं सकता है।

Man Changa To Kathauti Me Ganga Ki Kahani

1. कहानी

बहुत साल पहले गंगा किनारे के एक पंडित जी रहा करते थे। वह प्रतिदिन गंगा जी में स्नान करने जाते थे। साथ ही वे नहाने के बाद गंगा जी में पुष्प अर्पित करते थे।

रास्ते में ही रैदास जी का घर था, पंडित जी हमेशा रैदास जी से गंगा स्नान करने के लिए साथ चलने को बोलते थे पर रैदास जी जाने से मना कर देते थे और कहते थे की मै यही से ही गंगा मैया को प्रणाम कर लेता हु।

एक बार एक पुण्य पर्व के अवसर पे पंडित जी ने रैदास जी को अपने साथ चलने को बोला रैदास जी ने कहा मै तो नहीं जा सकता पर आप मेरी तरफ से ये दो केले गंगा मैया को अर्पित कर देना, और अगर गंगा मैया की तरफ से कोई भेट मिलती है तो मेरे लिए ली आना।

पंडित जी केले ले के चले गए। पहले पंडित जी अपना पुष्प गंगा माँ को अर्पित किया, फिर यह कहते हुए दोनों केले भी अर्पित कर दिए की ये केले रैदास जी ने दिए है।

तभी गंगा माँ का दिव्य हाँथ पानी से बाहर आया, और खेले ले के पानी के अंदर चला गया। पंडित जी इस नज़ारे के बारे में कुछ समझ ही पाते तब तक वह हाँथ फिर से बाहर आया और पंडित जी को एक बहुमूल्य कंकड़ दिया। फिर गंगा माँ के अंदर से आवाज आई की ये कंकड़ रैदास जी को दे देना।

पंडित जी उस कंकड़ को ले के चल दिए, कंकड़ की खूबशूरती को देख के पंडित जी के मन के लोभ आ गया। और वो रैदास जी के घर ना जाते हुए अपने घर जाने लगे।

पर वे बार बार रास्ता भटक कर रैदास जी के घर पहुंच जाते। कई बार प्रयास करने के बाद उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ और उस कंकड़ को रैदास जी को देते हुए अपने भूल का सारा किस्सा बता दिए।

रैदास जी ने कहा अगर ये कंकड़ तुम्हे पसंद है तो तुम ये कंकड़ रख लो, इतना कहते हुए कंकड़ को पंडित जी को दे दिए, पंडित जी उस कंकड़ को एक जौहरी हो बेच दिया, जौहरी ने उसका माला बनाया। फिर जौहरी से उस कंकड़ को एक सेठ ने खरीदा।

सेठ ने वो माला सेठानी को पहना दिया, एक दिन सेठानी उस माला को पहन के महारानी से मिलने गई। महारानी को वो माला बहुत पसंद आई तो सेठानी ने उस माला को महारानी को दे दिया।

पर महारानी ने उसे लेने से मना कर दिया की वो ऐसा दूसरा बनवा लेगी। उसने राजा से वैसा ही माला बनवाने के आग्रह किया, राजा ने वहां के बेहतरीन सुनारो और जौहरियों को बुलाया और वैसा ही माला बनाने को बोला।

पर सबने मना कर दिया की ये बहुत ही अनमोल कंकड़ है ऐसा कंकड़ मिलना असंभव है। राजा ने पता लगवाना चालू किया की ऐसा कंकड़ किसे और कैसे मिला।

फिर पंडित जी का पता चला पंडित जी ने सारा किस्सा राजा को बताया। राजा ने रैदास जी वैसा एक और कंकड़ गंगा मैया से मांगने का आग्रह किया।

राजा की बात रैदास जी नहीं टाल सकते थे  फिर उन्होंने ” मन चंगा तो कठौती में गंगा ” (Man Changa To Kathauti Me Ganga) कह के लड़की के बने कठौती में हाँथ डाला और उसी प्रकार का एक कंकड़ बाहर निकाल के राजा को दे दिया।

रैदास जी की भक्ति की ये भावना देख के सब सब लो अचंभित रह गए। रैदास जी ने सबको दिखा दिया की सच्ची भक्ति से भगवान को भी प्राप्त किया जा सकता है।

 

2. कहानी

एक गांव में एक युवक रहता था जिसका नाम रामू था। रामू बहुत ही मेहनती और भक्ति भाव वाला लड़का था। वह अपने मन में हमेशा सोचता रहता था कि एक दिन वह बड़े से बड़ा कार्य करेगा और अपने गांव का नाम रोशन करेगा।

पर उसके पास इतने पैसे नहीं थे की वो शहर जा के पढाई करे और अपनी मेहनत से बड़ा आदमी बने, बहुत पैसे कमाए फिर गांव की भलाई के लिए कुछ काम करे।

वह अपनी सोचों में इतना खो गया था कि उसे खुद को साबित करने दिन भर यही सोचता रहता था की क्या  करू,  क्यों की गावं में शिक्षा की व्यवस्था इतनी अच्छी नहीं थी।

एक दिन रामू  को एक कहावत याद आई ” मन चंगा तो कठौती में गंगा ” (Man Changa To Kathauti Me Ganga) अब उसे यह मंत्र मिल गया है। उसने निर्णय लिया की वो गांव में रह कर ही अच्छी पढाई करेगा।

फिर रामू पूरी मेहनत और ईमानदारी के साथ अपनी पढाई चालू कर दी, हर दिन मेहनत करते करते वो बहुत ही विद्यवान बन गया। और गावं में रह के ही वो बहुत अमीर आदमी बन गया।

गांव के लोग रामू को उनका नया नेता मानने लगे और उनकी सलाह मानने लगे। रामू, अपने आदर्शों के बल पर, गांव के विकास के लिए कार्य करने लगा। उसने बच्चों के शिक्षा के लिए स्कूल खोला, नदी के जल का उपयोग करके कृषि को विकसित किया, और ग्रामीण स्वरोजगार को बढ़ावा दिया।

इस तरह उसने अपने गांव का नक्सा ही बदल दिया, और अपने गांव का नाम रौशन कर दिया। इसलिए कहा जाता है की मन चंगा तो कठौती में गंगा।

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