मुर्ख बाज़ की कहानी – Best Murkh Baaj Ki Kahani In Hindi 2023

इस पोस्ट में हम मुर्ख बाज़ की कहानी (murkh baaj ki kahani ) पढ़ेंगे। हमारे नीति शास्त्रों मे कहा जाता है की जो आदमी अपने अच्छाई को त्याग देता है, अपने दुश्मनो को गले लगा लेता है।

और अज्ञानी होकर भी अपने आप को महान समझता हो उसके जितना मुर्ख कोई नहीं हो सकता। चाणक्य ने कहा है की अज्ञानी वह है जो नहीं जानता। लेकिन मुर्ख वह जो कुछ जानना ही नहीं चाहता।

क्योकि वह जितना जानता है उसे ही वह दुनिया का सर्वज्ञान समझने लगता है। मुर्ख को तो अपने से ज्यादा बुद्धिमान कोई नजर ही नहीं आता है। अहंकार एक ऐसी चीज है जो एक बार किसी के अंदर आ जाये तो वह स्वयं ही सारी बुरी आदतों को उस आदमी मे उत्पन्न कर देता है।

इस संसार मे ऐसे कई मुर्ख होते है जो बिना अपनी शक्ति जाने अपने से अधिक ताकतवर आदमी से दुश्मनी ले लेता है, उसे पता रहता है की मै अपने दुश्मनों से नहीं जीत पाउँगा। लेकिन वह फिर भी उससे भिड़ने की इच्छा रखता है।

इसलिए जो अपने से अधिक शक्तिशाली आदमी से दुश्मनी रखता है उससे बड़ा मुर्ख कोई नहीं हो सकता। जिस तरह एक बुद्धिमान व्यक्ति अपने लक्षण को सब जगह छोड़ देता है। ठीक उसी तरह मुर्ख आदमी भी अपने लक्षणों को छोड़ देता है। जिससे उसकी मूर्खता की पहचान होती है।

मुर्ख बाज़ की कहानी (murkh baaj ki kahani )

नदी के किनारे एक बहुत विशाल एक बरगद का पेड़ था। उस पेड़ पर अनेक प्रकार के पक्षी अपना घोंसला बनाकर रहते थे। उसी पेड़ के एक छेद मे एक बूढा बाज भी रहता था। बूढा होने के कारण उससे कोई काम नहीं होता था और ना अपने लिए खाने का प्रबंध कर सकता था।

पेड़ पर रहने वाले पक्षी बूढा बाज का हालत देख कर रोज अपने अपने भोजन मे से थोड़ा थोड़ा बाज को दे दिया करते थे। इसके बादले मे बाज उनके घरों और बच्चों की देखभाल करता था।

एक दिन एक बिल्ली उस पक्षियों के बच्चों को खाने के लालच से उस पेड़ के अगल बगल घूम रही थी। उसे देख कर पक्षियों के बच्चे जोर जोर से चिलाने लगे, पक्षियों के बच्चो की आवाज सुनकर बाज ने पेड़ के एक बिल से बाहर देखा।

बिल्ली की नजर जैसे ही बाज पर पड़ी उसकी प्राण सुख गए और डर गयी। उसने सोचा हाय अब मै मर जाउंगी ये बाज मुझे जीवित नहीं छोड़ेगा अब मै क्या अगर मै भाग भी जाउंगी तो मुझे ये मेरा पीछा कर के मुझे मार डालेगा। लेकिन मेरे पास एक उपाए है जिससे मै बच सकती हूं। शास्त्रों मे कहा गया है की जब तक डर सामने न आ जाये तभी तक उससे डरना चाहिए।

बाज को कम दिखाई पड़ता था। उसने पेड़ के नजदीक किसी को देखा तो कड़े स्वर मे बोला यहाँ कौन है। बिल्ली ने अपने हाथों को जोड़कर और नरम आवाज मे बोली – महाशय मैं एक बिल्ली हूँ और आपका अभिवादन करती हूँ।

बाज ने क्रोध होकर कहा – तुम अभी के अभी यहाँ से भाग जाओ नहीं तो मै तुम्हे मार डालूंगा। यहाँ सभी पक्षी बड़े प्रेम भाव से रहते है किसी हिंसक प्राणी के लिए यहाँ कोई जगह नहीं है।

बिल्ली बोली महाराज मै तो आपके ज्ञान धर्म और अनुभव से कुछ सिख लेने आयी हूँ। वन के सभी पक्षी आपके ज्ञानता का गुणगान किया करते है। मैंने सोचा कीमाई भी आपसे कुछ ज्ञान प्राप्त करके अपना जीवन सफल बना लू।

बाज ने अपनी प्रशंसा सुनकर थोड़ा नरम हो गया। उसने कहा -तुम स्वभाव से ही दुष्ट प्राणी हो। भगवान ने कहा है की प्राणी को अपने ज्ञान के साथ मर जाना उचित है लेकिन भूलकर भी दुष्ट प्राणी को ज्ञान न दे। बिल्ली बोली महाशय मै आपका विचार सुनकर बहुत दुखी हो गयी हूँ।

आप इतने विद्वान और ज्ञानी होते हुए भी इस तरह सोचते है। भगवान ने इस संसार मे सबको सामान बनाया है। किसी की जाति को देखकर उसके चरित्र पर ऊँगली उठाना गलत बात है। मै जाति का बिल्ली अवश्य हूँ लेकिन मै मांसाहार छोड़कर हमेशा सबके भलाई के लिए काम करती हु।

बाज ने गंभीर होकर कहा -इस दुनिया मे कुछ भी सामान नहीं है सभी उसी परमात्मा के अंश है। आप सही बोल कह रहे है मैंने भी अपने मन को कब का शांत कर लिया है। यदि आपकी कृपा हो जाये तो मेरा जीवन भी ज्ञान प्राप्त करके जीवों के कल्याण मे लग जायेगा। और मुझे मोक्ष की प्राप्ति हो जाएगी।

अपनी प्रशंसा भला किसे अच्छी नहीं लगती। ईश्वर भी अपनी प्रशंसा से ही प्रसन्न होते है उसी प्रकार बाज भी बिल्ली के बातों से प्रभावित हो गया। उसने अपने पेड़ के छेद के पास वाले खाली छेद मे उसे रहने की आज्ञा दे दी।

बिल्ली ने जो सोच कर आयी थी वो काम उसका हो गया वह उस पेड़ के छेद मे आराम से रहने लगी। बिल्ली बाज की नजर से बचते हुए सभी पक्षियों के बच्चों को एक एक करके मारकर खा गयी।

और पँख हड्डी आदि एक तरफ रख दी। अपने बच्चों को गायब होते देख सभी पक्षी ब्याकुल और चिंतित होने लगे। वे उन्हें खोजने लगे। जब बिल्ली देखी की सभी पक्षी, अपने बच्चों को खोज रहे है तो वह उस पेड़ से निकल कर भाग गयी। सभी पक्षी अपने बच्चों को खोजते हुए उस पेड़ के छेद के पास पहुचे जहा दुष्ट बिल्ली रहती थी।

वहा हड्डियों और पंखो के ढेर को देख कर रोने लगे, और समझ गए की किसी दुष्ट प्राणी ने उसे मार दिया है। उन्होंने सारी गलतियों का जिम्मेदार बाज को समझा और गुस्सा होकर कर अपनी चोंचों से उसे मार दिया।

कहानी से सीख – दुष्टों की मित्रता – संगती और उनके प्रति दिखाई गयी दया हमेशा संकट मे डालती है। इसलिए दुष्ट इंसान से हमेसा दूर रहे। rshindi द्वारा सुनाई गई मुर्ख बाज़ की कहानी (murkh baaj ki kahani ) आपको कैसी लगी comment कर के हमें बताये। 

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