संत न छोड़े संतई, कोटिक मिले असन्त | Sant Na Chhode Santai | Best Story 2023

यह एक मुहावरे संत न छोड़े संतई, कोटिक मिले असन्त ( Sant Na Chhode Santai ) की कहानी है। हम सभी जानते हैं की, एक अच्छा आदमी अपनी अच्छाई का त्याग कभी नहीं करता, चाहे संसार का बुरा से बुरा व्यक्ति उन्हें कितना भी कष्ट क्यों न पहुचाये।

वैसे ही एक संत का भी स्वभाविक गुण होता हैं दुसरो पर उपकार करना, मदद करना, भले ही वे खुद कष्ट में क्यों न हो। लेकिन दूसरे आदमी के द्वारा सताने पर भी उसे किसी भी तरह का हानी नहीं पहुंचाते, बल्कि उनकी भलाई ही करते हैं।

कहानी: संत न छोड़े संतई, कोटिक मिले असन्त ( Sant Na Chhode Santai )

एक जंगल में नदी के किनारे एक बहुत घना पीपल का पेड़ था। उस पेड़ के नीचे एक संत अपना सुंदर कुटिया बना कर रहते थे। वे नदी में रोज सुबह-सुबह  स्नान करने जाते थे और फिर उसके बाद पूजा पाठ करते थे।

एक दिन जब वे नदी में स्नान कर रहे थे, तभी उनकी नजर एक बिच्छू पर पड़ी। उन्होंने देखा की पानी का बहाव बहुत तेज था और उसी पानी के बहाव में वह बिच्छू बहता चला जा रहा था।

उन्होंने सोचा, यदि इस बिच्छू को जल्दी पानी से बाहर न निकाला गया, तो तुरंत ही यह पानी में डूब कर मर जायेगा। ऐसा सोच कर वह दयालु संत ने उस बिच्छू को अपने हांथो में उठा लिया, लेकिन जैसे ही उन्होंने बिच्छू को उठाया, बिच्छू ने उनके हाथ में डंक मार दिया।

डंक की दर्द से बिच्छू, संत के हाथ से छूटकर फिर पानी में गिर गया और डूबने लगा। संत ने उसे फिर दुबारा पानी से बाहर निकाला। लेकिन बिच्छू ने उनके हाथ में फिर डंक मारा, जिससे वह संत के हाथ से छूटकर फिर से पानी में गिर गया।

एक आदमी उसी नदी में, संत के बगल में स्नान कर रहा था। वह संत और बिच्छू को बहुत देर से देख रहा था। वह सोच रहा था की यह संत पागल हैं क्या ?  जब बिच्छू इनको बार बार डंक मार रहा हैं, और वो भी ऐसा डंक, जिसका दर्द बर्दाश्त करना बहुत ही मुश्किल हैं।

फिर भी वो बिच्छू को बार बार पानी में डूबने से बचा रहे हैं। जब संत ने तीसरी बार उस बिच्छू को पकड़ने की कोशिश कर रहे थे तब उस आदमी से रहा नहीं गया और संत से बोला – बाबा आप यह क्या कर रहे हैं।

आप इसको बचाने की कोशिश कर रहे हैं और यह दुष्ट बार बार आपके हाथ में डंक मार रहा हैं। अगर आपने फिर इसे पकड़ा तो यह आपको जरूर डंक मरेगा। इसे बचाने की कोशिश मत कीजिये, इससे केवल आपको कष्ट ही होगा।

तब तक संत ने उस बिच्छू को पकड़ लिया, बिच्छू ने फिर डंक मारा, लेकिन संत ने इस बार उसे पानी में गिरने नहीं दिया और जल्दी से उसे नदी के किनारे जमीन पर छोड़ दिया। (Sant Na Chhode Santai)

अब संत ने उस आदमी से कहा – देखो भाई हम सभी जानते  हैं की डंक मारना बिच्छू का स्वभाव ही हैं। यह एक छोटा सा जीव होते हुए भी अपने स्वभाव के अनुसार डंक मार रहा था। अगर मैं इसे मैं नही निकालता तो इसकी मृत्यु हो जाती।

इस तरह अगर ये अपने मृत्यु की परवाह किये बिना अपने स्वभाव को नहीं छोड़ सकता, तो एक इंसान होकर मैं कैसे दुसरो की भलाई करना छोड़ देता। यह अपना काम कर रहा था और मैं अपना काम कर रहा था।

 

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