यह कहानी हैं एक सिर कटा भूत (Sar Kata Bhoot) की। मोहन नाम का एक आदमी था। वह एक कंपनी में काम करता था। वह अपने ऑफिस के काम से अपनी पत्नी सीमा के साथ मुंबई गया था, और ऑफिस वालों ने उसका ठहरने का इंतजाम चौपाटी के एक होटल में कर दिया था।, वह होटल समुन्द्र के किनारे पर बना हुआ था।
रात के समय सीमा खाना खाकर तुरंत सो गयी और मोहन बाहर टहलने के लिए चला गया । रात के करीब 12:30 बज रहे थे। फिर उसी रात को मोहन के साथ एक दिल दहला देने वाला हादसा हुआ।
Sar Kata Bhoot
उसने देखा की समुन्द्र से कुछ ही दूरी पर एक पति पत्नी आपस झगड़ा कर रहे थे। फिर उसने देखा की उन दोनो में लड़ाई होने लगी। और वह आदमी उस लड़की का बाल पकड़ कर उसे घसीटने लगा और वह लड़की जोर जोर से चिल्लाने लगी। मोहन दौड़ कर उसके पास पहुंच गया।
अमावस की रात थी और चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा था। उन दोनों का चेहरा अच्छे से दिख नहीं रही थी। मोहन ने जोर से चिल्लाया – क्या चल रहा हैं वहाँ ? पुलिस बुलाऊ क्या मैं! पर उन दोनों में से किसी ने कुछ जवाब नहीं दिया।
लेकिन कुछ देर बाद मोहन को अहसास हुआ की, उसकी आवाज सुनकर वो आदमी उसे जानवर के जैसे घुर्रा रहा था। और साथ में खड़ी लड़की दर्द के मारे छटपटा रही थी और उस आदमी ने उसका सिर और बाल दबोच रखा था।
अब मोहन को बहुत तेज गुस्सा आया और वह एक बड़ा सा पत्थर लिया और उनलोगों के नजदीक जाने लगा। उसका ऐसा करना शायद बहुत बड़ी गलती थी। लेकिन फिर उसने देखा की उस औरत के पास खड़े आदमी का सिर ही नहीं था। वह एक Sar Kata Bhoot था।
ये नजारा देख कर मोहन के रोंगटे खड़े हो गए और वो पत्थर उसके पैरों पर दे मारा। तभी उस आदमी ने थोड़ी ही देर में अपने पैरों से रेत उड़ाना शुरू किया। मोहन जैसे तैसे करके उधर से भाग कर वापस होटल में चला गया।
उसने रूम के अंदर जाकर सीमा को पूरी बाते बताई, फिर वो दोनों डर के मारे कापने लगे। दुबारा उसने खिड़की से समुन्द्र की ओर देखा तो वहाँ कुछ भी नहीं दिख रहा था।
मोहन और सीमा कुछ घंटे बाद कमरे की लाइट चालू करके सोने की कोशिश करने लगे। तभी मोहन को एहसास हुआ की कोई उसके पीठ पर अपना हाथ सहला रहा हैं, और उसका हाथ काफ़ी गर्म हैं। फिर उसी वक़्त उसने अजीब सी गंध का एहसास किया।
उसकी आँख झटके से खुली और उठ कर बैठ गया। उसने मुड़कर पीछे देखा तो उसकी रूह काप गयी क्योकि बिस्तर पर उसके अलावा कोई भी नहीं था। तभी उसकी नजर टीवी के पास गयी, वहाँ सीमा चुपचाप खड़ी थी।
वह उठकर उसके पास जाने लगा, लेकिन पता नहीं क्यों वैसा उससे हो नहीं पा रहा था। उसने लेटे लेटे ही तेज से चिल्लाया। तभी मोहन ने एक और भयंकर मंजर देखा।
सीमा के बगल में परदे के पीछे वही बिना सिर वाला आदमी खड़ा था (Sar kata bhoot), और उसका हाथ सीमा के गर्दन पर था। मोहन को डर के मारे पसीने आने लगे, शरीर ठंढा पड़ने लगा और उसकी आँखे भारी होने लगी। उसके बाद क्या हुआ उसे कुछ नहीं पता।
अगले दिन मोहन अस्पताल में था। डॉक्टर ने बताया की हल्की सी अटैक आयी थी जिसके कारण वो बेहोस हो गया था। फिर उसने अपने पत्नी से सारी बाते बताई लेकिन उनसे कहा की जैसा आप कह रहे है वैसा कुछ भी नहीं हुआ था।
आप चिंता मत कीजिये सब ठीक हो जायेगा। लेकिन मोहन को पता था उस रात का भयानक सच! जिसके बाद वह उस होटल में कभी नहीं गया।
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