विश्वास की कहानी | Vishvas Ki Kahani | Best Story 2023

यह कहानी है विश्वास की ( Vishvas Ki Kahani ) इस कहानी में के एक आदमी रहता है, जो रस्सी पर चलकर बैलेंस बनाने में माहिर था। एक दिन वह आदमी दो ऊँची बिल्डिंगों के बीच एक रस्सी बांधकर उस पर चलने का प्रयास कर रहा था। जैसे ही उसने पहला कदम रस्सी पर रखा, नीचे खड़े लोग उसे गौर से देखने लगे।

जैसे जैसे वो अपने कदम आगे बढ़ा रहा था लोग और उत्सुकता के साथ उसे देखे जा रहे थे। देखते ही देखते, कुछ ही देर में वहाँ पे बहुत सारी भीड़ जमा हो गई। आदमी अब दोनों बिल्डिंग के बीच में पहुंच गया था।

Vishvas Ki Kahani

नीचे खड़े लोग उसे बड़ी ध्यान से देख रहे थे। जैसे ही वह बीच में पंहुचा, उसका संतुलन बिगड़ गया और वह लड़खड़ाने लगा। लोगों की धड़कनें तेज हो गई, लेकिन वह आदमी जल्दी ही फिर से संतुलन बनाया।

उसने पूरी रस्सी को सफलतापूर्वक पार किया और दूसरी ओर पहुंच गया। सबको लगा कि इस आदमी का खेल खत्म हो गया है, और लोग वहाँ से जाने लगे। लेकिन वह आदमी अपने बच्चे को कंधे पर बिठाकर फिर से उसी रस्सी पर चलने लगा।

वहाँ उपस्थित सभी लोग अब और भी ध्यान से उसे देखने लगे। जब वह सफलतापूर्वक इस बार भी रस्सी को पार कर लिया, तो सभी ने उसके लिए तालियां बजाई और उसकी खूब तारीफ की।

आदमी ने फिर से लोगों से पूछा कि, क्या आपको लगता है। मैं इस काम को फिर से सफलतापूर्वक कर सकता हूं? लोगों ने बहुत उत्साह से हामी भरी और कहा कि हां, तुम बिल्कुल यह काम कर सकते हो।

आदमी ने फिर से पूछा कि, क्या तुम मुझ पर विश्वास करते हो। कि मैं इस काम को दोबारा सफलतापूर्वक कर सकता हूं? लोगों ने और जोर से हाँ कह दी।

अब आदमी ने कहा अगर तुम मुझ पर इतना विश्वास है, तो मेरे पास अपने बच्चे को ले आओ, मैं उन्हें कंधे पर बिठाकर यह काम करूंगा!” उस आदमी के मुँह से इतना सुनते ही वहाँ उपस्थित, सभी लोग शांत हो गए!

वहां मौजूद लोगों में से किसी ने भी इस पर प्रतिक्रिया नहीं दी। कोई भी अपने बच्चे को उस आदमी को सौंपने के लिए तैयार नहीं था। दोस्तों, इस दुनिया में हम अक्सर दूसरों पर भरोसा करते हैं, लेकिन यह सच है कि हम खुद पर जितना भरोसा कर सकते हैं, उतना कभी दूसरों पर नहीं कर सकते।

जब जीवन-मृत्यु का सवाल आता है, तब हमारे सामने वाला व्यक्ति चाहे जितना ही काबिल हो। हमें उस पर पूरा भरोसा नहीं कर सकते। यहां इस रस्सी पर चलने वाले आदमी का उदाहरण लें।

जो अपने बच्चे के लिए उत्सुकता से सावधानी बरतेगा, लेकिन शायद दूसरे के बच्चों के प्रति इतनी ज्यादा सावधानी नहीं बरतेगा, या सायद सावधानी बरत भी ले। मगर खुद से ज्यादा, दुसरो पे विश्वास करना थोड़ा मुश्किल होता है।

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