इस पोस्ट में हम एकता में बल की कहनी के बारे में जानेगे। एकता एक ऐसी शक्ति है जहा हम किसी भी काम को एक साथ मिलकर करते है तो वहाँ से बहुत सी चीजे हम हासिल कर लेते है। सामूहिक एकता का बल कभी भी कमजोर नहीं पड़ता है।
एकता मनुष्य के जीवन मे आगे बढ़ने का बहुत ही सुन्दर और आसान मार्ग है। हम सबको हाथ की पांच उंगलियों की तरह रहना चाहिए। ये है तो पांच लेकिन बड़े से बड़े काम को आसानी से कर लेती है क्योकि इनमे एकता है।
कहानी – एकता में बल
किसी घने जंगल मे एक विशाल पेड़ था। उस पेड़ पर दो सुन्दर पक्षी चिड़ा और चिड़िया अपना घोंसला बनाकर रहते थे। वे दोनों बड़े ही हसीं खुशी से रहते थे। उन्हें कभी भी किसी बात का डर ना ही किसी बात का दुख था। कुछ दिन के बाद चिड़िया ने चार अंडे दिए। और दोनों ने बड़े प्यार से उस अंडे की देख भाल करने लगे।
एक दिन एक बहुत ही शक्तिशाली हाथी वहाँ पर आया। उसने बिना ही किसी कारण पेड़ मे धक्के मारने लगा और अपने सुढ से पेड़ के डालियो को भी हिलाने और तोड़ने लगा। पेड़ पर बैठे चिड़ा और चिड़िया एकदम से डर गए और ची- ची करके चिलाने लगे।
लेकिन हाथी ने उस चिड़िया की आवाज बिलकुल नहीं सुनी और जिस पेड़ की डाली पर घोंसला बना हुआ था, उस डाली को भी उसने तोड़ दिया और सारे अंडे निचे गिर कर टूट गए। चिड़ा और चिड़िया ने तो उड़कर अपने जान को बचा लिया लेकिन अपने अंडे को नहीं बचा पाए।
अंडे के टूट जाने से चिड़ा और चिड़िया बहुत रोने लगे। फिर चिड़ा ने कहा- हमारे रोने से क्या होगा अब तो सारे अंडे टूट गए अब हम कितना भी रोयेंगे तो हमारे बच्चे जीवित तो नहीं होंगे न।
चिड़िया बोली – यह तो मै भी जानती हूँ की वे जिन्दा नहीं हो सकते लेकिन मै अपने दिल तो शांत कैसे करू। उस दुष्ट हाथी ने बिना कोई कारण ही हमारे बच्चे को मार दिया। हमलोग ने उसका क्या बिगाड़ा था।
जो इतने बेरहमी से मेरे बच्चे को मार दिया। जब तक उस दुष्ट हाथी से मै इसका बदला नहीं ले लेती, तब तक मेरे दिल को शांति नहीं मिल सकती।
चिड़िया की बात सुनकर चिड़ा और भी दुखी हो गया। और बोला हम उस शक्तिशाली हाथी का बिगड़ भी क्या सकते है। और दोनों फिर से रोने लगे। उसी पेड़ पर बैठा एक कौवा इनदोनो की सारी बाते सुन रहा था।
उसने पास आकर बोला – दोस्त मैंने तुमलोग की सारी बाते सुन लिया है, मै तुम्हारा दोस्त भी हूँ और एक पडोसी भी इसलिए मै मदद करने के लिए तैयार हूँ।
हाँ मै मानता हूँ की हाथी हमलोग से बहुत शक्तिशाली है लेकिन एकता में बल की शक्ति बहुत ज्यादा होती है। मेरे दोस्त! जब हम सब साथ मिलकर बदला लेंगे तो वो हाथी हमलोग का कुछ नहीं बिगड़ पायेगा। और एक मक्खी भी मेरी दोस्त है वह भी इसी पेड़ पर रहती है। हम तीनो मिलकर इस दुष्ट हाथी का विनाश का रास्ता खोज सकते है।
चिड़ा ने कहा – मेरी दोस्ती एक मेंढक से है मै उसे भी बुला लेता हूँ। कुछ ही देर मे सभी इकठे हो गए। ये सारी बाते मेंढक को बताया गया तब उसने कहा दोस्त चिंता मत करो – एकता की शक्ति ने बड़े – बड़े राजाओं को धूल चटा दिया है, शक्तिशाली इंसानो के सर काट डाला है, तो यह हाथी तो कुछ भी नहीं है।
सब मिलकर हाथी को मारने के लिए एक अच्छा सा उपाए निकल लिया। दूसरे दिन हाथी भोजन करके जंगल मे आराम कर रहा था। तभी मक्खी उसके कानो पर बैठ कर गुनगुनाने लगी, उसके मीठा आवाज सुनकर हाथी सो गया। तब कौवा ने उसके सर पर बैठ कर उसके दोनों आँख फोड़ दिया।
हाथी दर्द के मारे जंगल मे इधर उधर कूदने और छटपटाने लगा। और उधर मेंढक ने अपने और दोस्तों के साथ एक खाई के किनारे जाकर चिलाने लगा। हाथी छटपटाते हुए उस खाई के पास पंहुचा।
मेंढक की आवाज सुनकर उसने सोचा की इधर कोई तालाब है और मेंढक भी चीला रहे है इसी मे कुद जाता हूँ मेरे आँखो को आराम मिलेगा। और वह खाई मे कूद गया और मर गया।
चिड़ा और चिड़िया को हाथी से बदला लेकर शांति मिल गयी और अपने सभी दोस्तों को धन्यवाद दिया और फिर से अपने सुखी जीवन जीने लगे।
सारांश – दोस्तों इस कहानी से हमें ये शिक्षा मिलती है की, कार्य कितना भी बड़ा या कठिन क्यों न हो। अगर हम सब साथ मिल कर उस कार्य को करेंगे तो वो कार्य जरूर पूरा होगा। एकता में बल की कहनी आपको कैसी लगी हमें comment कर के जरूर बताये।
यह भी पढ़े:
आप हमें Facebook पे भी follow कर सकते है।