परोपकार का महत्व – Best 5 Paropkar Story In Hindi

परोपकार दो शब्दो से मिल कर बना है पर + उपकार । अर्थात पराये (दूसरो ) पे  किया गया उपकार ही परोपकार कहलाता हैपरोपकार का महत्व। परोपकार का तीनो ही योनि देव, असुर, और मनुष्य में बहुत ज्यादा महत्व है।

इस संसार जगत में परोपकार से बढ़कर कोई भी धर्म नहीं है । जो व्यक्ति दूसरो पे उपकार करता है, उसका जीवन धन्य हो जाता है। उसे समाज में हमेसा इज्जत भरी नजरो से देखा जाता है। इसकी को परोपकार का महत्व कहा जाता है।

दूसरो को धोखा दे के उनकी जमीन जायदाद अपने नाम कर लेना या किसी भी तरह से किसी इंसान को दुःख देना ये सब कर के कहा जाओगे।  ना ही धन रहेगा ना ही तन, ना घर रहेगा न ही शान ।  बस एक दिन बड़े प्यार से राम नाम सत्य हो जायेगा पीछे क्या छूटेगा कि अच्छा हुआ मर गया।

पर अगर हम परोपकार के महत्व की बात करे तो परोपकार करने से व्यक्ति का मन और आत्मा हमेसा शांत रहते है किसी का भला करके अंदर से ही हमेसा खुशी मिलती रहती है।

जीते जी तो परोपकारी मनुष्य हमेशा खुश रहता ही है बल्कि मरने के बाद भी लोगो के दिल में उसके लिए इज्जत बनी रहती है दुनिया में कई ऐसे परोपकारी व्यक्ति हुए है जिन्होंने अपनों के साथ साथ पूरे मनुष्य जाती का भला किया है वो आज भी लोगो के दिलो में जिन्दा है।

परोपकार का महत्व के ऊपर 5 कहानियाँ

1. परोपकारी  संत

हमेशा की तरह एक संत जी अपने तपस्या में लीन थे, और पास में ही आम के पेड़ लगे हुए थे, तभी कुछ बचे वहा से गुजर रहे थे उन्होंने आम के पेड़ो को देखा उसमे आम लगे थे। उन बच्चो ने आम खाने के लिए आम के पेड़ो पे पत्थर मरना चालू कर दिया ताकि उन्हें आम खाने को मिल जाये पर, एक पत्थर संत जी  को लग गया।

सारे बच्चे डर गए और वह से भागने लगे पर संत जी ने उन बच्चो को अपने पास बुलाया और कहा तुम सब भाग क्यों रहे थे तब बच्चो ने बोला संत जी  हम पेड़ को पत्थर मार रहे थे ताकि हमे फल खाने को मिले पर गलती से आपको लग गया।

 इस पर संत जी ने कहा बच्चो मुझे माफ़ करना तुम्हे पेड़ को पत्थर मारा और उसने  तुम्हे फल खाने को दिए पर  मै तुम्हे कुछ नहीं दे पाया संत जी की बाटे सुन के सारे बच्चे उनके सामने नतमस्तक हो गये।

 

2. किसान द्वारा की गई शेठ की मदद।

किसी गांव में एक किसान अपने बीबी बच्चो के साथ रहता था, उसकी जीवन याचका उसके खेती पे निर्भर थी। वो दिन भर खेतो में काम करता उनसे जो अनाज उगता उसे बेच कर अपने परिवार की जरुरतमंद चीजों की पूर्ती करता और अपना जीवन अपने परिवार के साथ मजे में गुजार रहा था ।

दुर्भाग्य से एक दिन उस गांव में बहुत जोर की बारिस हुई और उस किसान की सारी फसल बर्बाद हो गई, किसान के पास इतने पैसे नहीं थे की वो नए बीज खरीद के लाये और दुबारा से अपने खेत में बीज बो सके। बीज खरीदने के लिए पैसो के इंतजाम में उसने अपने गांव के हर व्यक्ति के पैसे उधर मांगे पर किसी ने भी उसकी मदद नहीं की।

किसान अब बहुत ही ज्यादा हताश और परेशान हो गया था की अगर उसने इस बार खेती नहीं की तो उसका परिवार भूखो मर जायेगा, वो भगवान से प्राथना करने लगा की हे भगवन मेरी मदद कीजिये।

कुछ दिन ऐसे ही बीत गए पर उससे  पैसो का इंतजाम नहीं हुआ, फिर किसान ने सोचा की चाहे जो भी हो पर वो अपने परिवार को भूखा नहीं मरने देगा। इसलिए उसने चोरी करने का फैसला लिया।

रात के समय वो चोरी करने दूसरे गांव निकल गया, दूसरे गांव जाते समय उसे एक व्यक्ति दिखा जिसका रास्ते पे गाड़ी चलाते हुए accident हो गया था । किसान ने उस व्यक्ति की मदद की उसे चिकित्सालय ले गया जहां उस व्यक्ति की जान बच गई वह व्यक्ति कोई और नहीं बल्की किसान जिस गॉव में चोरी करने जा रहा था उस गॉव का बहुत बड़ा शेठ था।

जब उस व्यक्ति को होश आया तो उसने किसान को उसकी जान बचाने के लिए इनाम के रूप में पैसे दिए इस प्रकार किसान को परोपकार करने का फल तुरंत ही मिल गया। 

3. परोपकार का फल

एक राजा का बहुत विशाल राज्य था वो अपने राज्य और राज्य के लोगो का भी बहुत अच्छे से ध्यान रखता था। उसके घर 3 पुत्रो ने जन्म लिया जब पुत्र थोड़े बड़े हुए तो राजा उन्हें अच्छी शिक्षा देने लगा और साथ ही उन्हें युद्ध कला में माहिर भी बना दिया। तीनो बेटे एक से बढ़ कर एक बलशाली थे तब तक राजा की उम्र भी ढल चुकी थी, इसलिए राजा ने अपने तीनो बेटो में से किसी एक को राज्य का राजा बनाना चाहता था पर वो समझ नहीं पा रहा था कि किसे राजा बनाया जाये, क्यों की तीनो ही बेटे राजा बनने के काबिल थे।

इस का निष्कर्ष निलकते हुए राजा ने अपने तीनो बेटे को बुलाया अपने तीनो बेटो को एक बराबर धन-दौलत दिया और उनसे बोले की ये तो धन है ये सब तुम्हारा है, तुम इन्हे जैसे मन वैसे खर्च कर सकते हो, पर उन्हें यह नहीं बताया गया की जो इस धन का अच्छे से उपयोग करेगा उसे ही राज्य का राजा बनाया जायेगा तीनो राजकुमार धन ले के अपने अपने महल में चले गए।

पहले राजकुमार ने उस धन से अपने लिए बहुत आलिशान महल बनवाया घोड़े हाथी खरीदे नौकर रखे और मस्त जिंदगी जीने लगा। वही दूसरे राजकुमार ने उस पैसो से कारोबार करना चालू कर दिया दूसरे राज्य से समान लाना उन्हें बेचना और वो उन पैसो से और ज्यादा अमीर बनता चला गया।

पर तीसरे राजकुमार ने आधे पैसे अपने राज्य की रक्षा के लिए उपयोग किया और आधे पैसो से उसने खेती चालू की और जो भी अनाज उगता उसका आधा  वो अपने राज्य के गरीब लोगो में बाट देता, और आधे अनाज वो दूसरे राजकुमार के साथ मिल के व्यपार करता इससे उसको जो मुनाफा होता, वो उसे भी खेती में लगा देता ।

ऐसा करते करते एक समय ऐसा आया की राज्य में अब कोई गरीब इंसान नहीं बचा उसने सबको खेती के काम में लगा दिया और सारा मुनाफा राज्य के हित के कार्यो में लगता इस बात से प्रसंन हो के राजा ने तीसरे राजकुमार को राजा बना दिया क्यों की तीसरा राजकुमार के अंदर दुसरो के ऊपर परोपकार करने की भावना थी। इस कहानी से हमें परोपकार का महत्व के बारे में पता चलता है।

4. मोची के अंदर परोपकार की भावना

परोपकार का महत्व के ऊपर चौथी कहानी है मोची की। एक मोची था वो अपनी जीवन याचिका चलाने के लिए जूते सिला करता था ज्यादा आमदनी तो नहीं होती थी पर जितनी होती उतने वो संतुष्ठ था और हमेसा भगवान का शुक्रिया करता की अपने बहुत कुछ दिया।

एक दिन भगवान उसकी परीक्षा लेने के लिए उसके सपने में आये और उससे बोले की मै तुमसे मिलने कल तुम्हारे घर आऊंगा। तुरंत ही मोची की नींद खुल गई उसे सपने की बात यद् आई वो बहुत खुश हुआ और दूसरे दीं भगवन की सेवा के लिए वो दूध और मिठाई ले ले आया ताकि जब भगवान उसके घर आये तो उन्हें खाने-पीने को दे सके।

उसने पूरे घर की अच्छे से सफाई की और भगवान का इंतजार करने लगा तभी जोरो की बारिश होने लगी, थोड़े देर बाद उसने देखा की एक औरत उसके घर के सामने खड़ी है जो की पूरी तरह से भीग चुकी है और ठण्ड से काँप भी रही मोची को दया आई उसने तुरंत थोड़े से दूध निकल के चाय बनाई और उस औरत को पिला दिया फिर वो औरत वहा से चली गई।

उसके बाद एक और औरत उसके घर का दरवाजा खटकाने लगी मोची ने सोचा चलो भगवान आ गए पर जैसे ही उसने दरवाजा खोला तो देखा एक औरत अपने बच्चे के साथ खड़ी उसने मोची से कहा की मेरा बच्चा बहुत भूखा है।

आपके पास अगर दूध हो तो मुझे दे दो मोची सोचने लगा दूध तो अब भगवान के लिए ही बचा है और उसके पास इतने पैसे भी नहीं है की वो दुबारा दूध खरीद सके फिर भी मोची ने पूरा दूध उस औरत को दे दिया और खुद से बोला चलो कोई बात नहीं भगवान आएंगे तो उन्हें मिठाई ही खिला दूंगा।

कुछ देर बाद ही एक बूढ़ा आदमी मोची के पास आया और बोला बेटा मै बहुत भूखा हु कुछ खाने को हो तो मुझे दे दो बूढ़े आदमी की हालत देख के मोची ने उसे सारी मिठाईया दे दी।

इस तरह से भगवान का इंतजार करते करते उसे सुबह से शाम हो गई और रात होने को आई तब मोची ने बोला वाह भगवान मैं आपके इंतजार में सुबह से शाम बैठा रहा और आप वादा करके भी नहीं आये।

तभी आकाशवाणी हुई की मै आज एक नहीं तीन बार तुम्हारे पास आया और तुमसे मिला तुम हर बार मेरी परीक्षा में पास हो गए। दोस्तों इसी को कहते है परोपकार का महत्व, जितना है उतने में संतोष करे और परोपकार की भावना हमेशा अपने अंदर रखे क्या पता कब किस रूप में आपके पास आ जाये।

5. परोपकारी पेड़ ( परोपकार का महत्व )

किसी गाँव में एक बरगद का पेड़ था, गाँव के लोग उस पेड़ की छाँव में बैठा करते, त्यौहारों में बरगद के पेड़ की पूजा भी की जाती धीरे धीरे समय बीतता गया, पेड़ अब बहुत पुराना हो गया उसके पत्ते भी झड़ चुके थे और उसकी डालिया भी सूख के टूटने लगी थी। 

तब गाँव वालो ने फैसला किया कि अब इस पेड़ को काट देना चाहिए ताकि, इस पेड़ के लकड़ी को खाना बनाने तथा झोपडी बनाने के उपयोग में लाया जा सके। दूसरे ही दिन गाँव वाले उस पेड़ को काटने के लिए चल दिए, जब बरगद के पेड़ को कटा जा रहा था।

तब वहाँ पे एक छोटा पेड़ और था उसने बरगद के पेड़ से पूछा मित्र ये मनुष्य कितने स्वार्थी है पहले ये आपकी छाँव में बैठा करते और आपकी पूजा करते थे।

पर अब जब आप कमजोर हो गए हो तो ये लोग आपको काट रहे है आपको इनपे गुस्सा नहीं आ रही है। इस बात पे बरगद के पेड़ ने बड़ा ही सुन्दर जवाब दिया, नहीं मित्र मुझे इनपे गुस्सा नहीं आ रही बल्कि मुझे तो खुशी हो रही है की मैं जीते जी इन लोगो के काम में आया, और मरने के बाद भी इनके उपयोग में आऊंगा। दोस्तों ये होता है परोपकार का महत्व। 

सारांश : दोस्तों परोपकार का महत्व की बात करे तो ,परोपकार के जैसा न तो कोई पुन्य है, ना कोई धर्म । इस दुनिया में हर इंसान को परोपकार करना चाहिए यह जरुरी नहीं है कि हम अपना घर-परिवार त्याग के परोपकार में ही लग जाये।
पर जिससे जितना हो सके उसे उतना ही सही पर जरूरतमंद लोगो की हमेशा मदद करे। उम्मीद करता हूँ कि rshindi द्वारा बताई गई ये परोपकार का महत्व की कहानियाँ आपको पसंद आई होंगी, आप परोपकार का महत्व के ऊपर अपने विचार  हमें comment कर के अवश्य बताये धन्यवाद । 

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