maa ki mamta – माँ की ममता की कहानी – Best Motivational Story In Hindi 2023

इस पोस्ट में हम माँ की ममता ( maa ki mamta ) के ऊपर कहानी पढ़ेंगे। कहते है, जैसे आत्मा और परमात्मा का सबंध होता है, वैसे ही माँ और बेटा का रिश्ता होता है। माँ के गर्भ में बेटा अपना जीवन शुरुआत करता है। उसकी कोख में पलता बढ़ता है।

माँ अपने बेटे को ममता और प्यार के संग अपने गर्भ में नौ माह तक रखती है। वह अपने गर्भ में रखकर अपने खून के माध्यम से उसका पालन- पोषण करती है। असहाय कष्ट और पीड़ा के सहते हुए भी उसे प्यार दुलार में कोई कमी नहीं करती हैं।

माँ  बेटा का जो इतना अच्छा सम्बन्ध हैं उसे तो हम कभी नहीं भुला सकते हैं। बेटा जब बड़ा हो जाता है तो उसके अंदर परमात्मा हमारी माँ ही होती है।

और वही माँ की ममता अपने बेटे की ऊपर सावन की बादल जैसे अपना प्यार उमड़कर बरसने लगती हैं। वह ऐसी बरसती है की कभी maa ki mamta समाप्त नहीं होती है।

सावन के बादल तो बरस जाने के बाद चूक जाते है लेकिन maa ki mamta के बादल कभी नहीं चूकते हैं। जिसे हम सच्चे दिल से चाहते हैं उसके लिए कुछ भी लुटाने के लिए तैयार रहते है। उसके लिए बहुत बड़ा त्याग और बलिदान भी छोटा लगता हैं। बहुत कुछ लुटाने के बाद भी ऐसा लगता है की कुछ नहीं दे पाए।

यह देना लूटना ही तो प्रेम है। जिससे हमारे रिश्ते जीवन भर के लिए गहरा हो जाता है, और वो कभी नहीं टूटते है। यही वजह है की माँ असहनीय कष्ट सहते हुए भी अपने संतान को अपने गर्भ में रखने पर परम आनंद का अनुभव करती है। दुनिया में एक माँ ही है जो एक पुत्र को जन्म देने के लिए इतना पीड़ा सहकर दूसरा जन्म का एहसास करती है।

और कुछ माँ ऐसी भी है जो केवल जन्म देने वाली जननी बनकर रह जाती है। उन्हें लगता है की मेरे जीवन में यही एक बड़ा और कठिन काम था जो निपट गया। ऐसी माँ गर्भधारण के असहाय दर्द  से बचना चाहती है। और फिर किसी तरह इस कार्य को जल्द से जल्द पूरा क्र लेना चाहती है।

क्योकि ऐसी माँ को न तो कष्ट सहने की क्षमता होती हैं और न ही वो इसे झेलना चाहती है। इसलिए ऐसी माँ और बेटे में कोई ज्यादा मोह माया और ममता का सम्बन्ध नहीं दीखता हैं। अब तो जमाना ऐसा आ गया है की कुछ माँ अब कई उपाए खोज ली है। उन्हें जन्म देने का कोई झंझट न उठाना पड़े।

माँ होने का आनंद तो अपनी संतान को स्वयं के माध्यम से जन्म होते देख कर ही आ पाती है। जब उसका बेटा उससे कही दूर जाता है तो उसपर घटने वाली घटना का अनुवभव कर लेती है। उसे पता चल जाता है की उसका बेटा कही किसी संकट में आ गया हैं। यह एक बहुत बड़ी वजह होती है खुद के माध्यम से बच्चे को जन्म देने से

अच्छा – बुरा सुख- दुःख दोनों घटनाओ को वह पहले ही अनुभव कर लेती है। इसको को कहते है, maa ki mamta

maa ki mamta माँ की ममता की कहानी

सोनपुर नाम का एक गांव था। वहाँ के लोग एक दूसरे से मिल – जुल के रहते थे।  उस गांव में एक औरत रहती थी। और उसका एक छोटा सा बेटा भी था। वह अपने बेटे से बहुत प्यार करती थी। उसे एक पल भी अपने आखों से दूर नहीं जाने देती थी। एक दिन वह घर के कामो में बहुत ज्यादा व्यस्त हो गयी थी। और उसका बेटा बाहर खेल रहा था।

खेलते खेलते उसे पता नहीं चला और दूसरे गांव में चला गया। जब उसकी माँ घर से बाहर निकलकर देखी तो उसे कही दिखाई नहीं दे रहा था। वह एकदम से हड़बड़ा गयी और रोने लगी की मेरा बेटा कहा चला गया।

उसे खोजने निकल गयी खोजते खोजते वह एक गांव में गयी। वह जाकर देख रही है की उसके बेटे को एक औरत ने पकड़कर रखी है। ये उसके सामने गयी और बोली बहन ये मेरा लड़का है मुझे दे दो तो झट से दूसरी औरत ने बोली की नहीं ते मेरा लड़का हैं।

और दोनों औरत आपस में झगड़ा करने लगी। दोनों का झगड़ा देखकर गांव में काफी लोग इकठ्ठा हो गए। लेकिन समझ में नहीं आ रहा था की ये लड़का किसका हैं।

गांव वालों ने दोनों औरतो को मुखिया जी  के पास लेकर गए । और उनको सारी बातें बताई।  मुखिया जी ने दोनों औरतों को बगल में खड़ा कर दिया और एक लकड़ी से गोला बना दिया।

और बोले जो इस गोले के बाहर पहले आ जायेगा लड़का उसी का होगा। लेकिन लड़को को आधी आधी हिस्से को पकड़ कर खींचना होगा। जैसे  एक औरत हाथ पकड़ ले और दूसरी औरत पैर पकड़ ले उसके बाद खींचते हुए गोला के बाहर आ जाना है।

दोनों औरतों ने बच्चे को खींचना शुरू कर दिया। बच्चे को दर्द होने लगा और वह रोने लगा। तभी जो उसको असली माँ थी वह बच्चे को छोड़ देती है।

तभी जो दूसरी औरत थी वह बच्चे को लेकर गोले से बाहर निकल जाती है और मुखिया जी से कहने लगती है की देखिये यह मेरा बच्चा है मैं इसे गोले से बाहर लेकर आ गयी हूँ।

तब मुखिया जी ने कहा नहीं यह तुम्हारा बच्चा नहीं है। अगर तुम्हारा बच्चा होता तो तुम इसके साथ इतना अत्याचार नहीं करती। इसलिए यह तुम्हारा बच्चा नहीं है।

सारांश – maa ki mamta  कहानी से हमें ये सीखने को मिलता है की माँ अपने बच्चे को कभी तकलीफ में नहीं देख सकती, चाहे कुछ भी हो जाये माँ हमेशा अपने बच्चो का भला ही चाहती है।


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