सोचने का नजरिया – Best Sochne Ka Najariya Kahani In Hindi 2023

दोस्तों इस पोस्ट में हम सोचने का नजरिया (Sochne Ka Najariya) के ऊपर एक कहानी पढ़ेंगे। हर एक व्यक्ति के सफलता और असफलता का कारन होता है, उसके सोचने का नजरिया। किसी भी कार्य को करने से पहले हमें जो सबसे जरुरी  चीज है, वो है हमारे सोचने का नजरिया।

अगर हम सकारात्मक सोच के साथ उस काम को करते है तो अंदर से हमें उस काम को करने के लिए ताकत मिलती है। जिससे हम उस काम को आसानी से कर लेते है।

वही अगर हम नकारात्मक विचार ले के उस काम को करने लगते है वो तो काम में फेल होने की संभावना बहुत ही ज्यादा होती है। हर इंसान के अंदर 2 प्रकार के नजरिया होता है। एक सकारात्मक और दूसरा नकारात्मक।

अब हर इंसान की तरक्की इस बात पे निर्भर करती है की वो इंसान अपने सकारात्मक या नकारात्मक नजरिया को ले के अपने काम को करता है। कई ऐसे भी लोग होते है जिनके पास सब होते हुए भी अपने नकारात्मक नजरिये के कारन जीवन में कभी खुस नहीं रहते।

उन्हें हर समय दुसरो में कमिया ही नजर आती रहती है। ऐसे ही एक इंसान की Sochne Ka Najariya की कहानी हम इस पोस्ट में पढ़ेंगे जिसके पास सब कुछ होते हुए भी वो खुस नहीं रहता। और हर चीज में उसको कमी ही नजर आती है।

कहानी – सोचने का नजरिया (Sochne Ka Najariya)

एक गांव में एक जमींदार जो की बहुत धनि था। उसके पास बहुत सारी जमीने थी। हर सुख सुविधा उसके घर में मौजूद थी। बड़ी मेहनत करने के उसने ये सब बनाया था। उस जमींदार का एक बेटा था जिसका नाम मोहन था। मोहन को गावं में रहना पसंद नहीं था। वो सोचता रहा शहर कितना अच्छा है वहां पे सारी सुख सुविधा उपलब्ध रहती है।

मोहन अपने पिता जी से जिद्द करता था की हम सब शहर में रहेंगे गावं में अच्छा नहीं लगता। पर उसके पिता जी कभी तैयार नहीं होते। वो हमेशा कहते बेटा ये गांव हमारा है, हमारे पूर्वज भी यही रहते थे। हम अपने इस घर को छोड़ के यहाँ से क्यों जाये।

कुछ साल बीत जाने के बाद मोहन के पिता की मृत्यु हो गई। पिता के जाने के बाद पिता जी का सारा काम – धाम मोहन देखने लगा। फिर एक दिन मोहन ने विचार किया की मैं अब इस गांव में नहीं रहूँगा। मुझे शहर में ही रहना है।

मोहन को लगता था की गांव एक जंगल की तरह है दूर दूर तक बस खेत, पहाड़ यही सब है यहाँ। इसलिए उसने अपने गांव के घर को बेच कर शहर में एक आलीशान बंगला लेने का फैसला किया।

मोहन का एक दोस्त शहर में रियल स्टेट की कंपनी में काम करता था। मोहन ने दूसरे ही दिन उसे फ़ोन किया और उससे कहा यार मेरा ये गांव का घर बिकवा दे, और मुझे शहर में एक अच्छा सा आलीशान मकान शहर में दिलवा दे।

मोहन के दोस्त ने उससे कहा, भाई तू अपना ये पूर्वजो का घर क्यों बेचना चाहता है, अगर तुझे शहर में घर ही चाहिए तो ले ले पर ये घर मत बेच। तब मोहन ने कहा नहीं मुझे अब यहाँ नहीं रहना है, यहाँ हमेशा बिजली चली जाती है।

रास्ते भी कच्चे है, बरसात में कीचड हो जाता है। बगल में ही पहाड़ है, जब भी अंधी आती है तो वहाँ से धुल, मिट्टी, पेड़ो के पत्ते से पूरा आँगन भर जाता है, सफाई करने में बहुत दिक्क्त होती है।

अब मैं यहाँ नहीं रहना चाहता, उसके दोस्त में बोला ठीक है मैं तुम्हारा घर बिकवा दूंगा। इतना कह कर उसने फ़ोन रख दिया।

अगले दिन जब मोहन अख़बार पढ़ने बैठा तो उसने अख़बार में एक ऐड देखा, उसमे लिखा हुआ था, शहर की भीड़ भाड़ जिंदगी से दूर पहाड़ो से घिरे हुए, प्रकृति की गोद में बने हुए इस सुंदर से घर को बनाये अपने सपनो का महल, इस घर को खरीदने के लिए निचे दिए हुए XXXXXXX नंबर पे संपर्क करे।

मोहन को वो ऐड बहुत पसंद आया और उसने उस घर को खरीदने के लिए निचे दिए गए नंबर पे कॉल किया। कॉल करने के बाद उसे पता चला की ये तो उसी का घर का ऐड है। इसके बाद मोहन को समझ आ गया था की वो अपनी खुशिया बहार ढूंढ रहा था जब की उसकी ख़ुशी तो उसके पास ही थी।

मोहन को अब अपने पसंद का घर मिल गया था। अब उसे कोई परेशानी नहीं होती थी, ना ही वहाँ के रास्तो से, ना किसी चीज से अब वो आराम से वहाँ रहने लगा और शहर में रहने का विचार अपने दिमाग से निकाल दिया।

Sochne Ka Najariya कहानी से शिक्षा –

इस कहानी को पढ़ने के बाद हमें ये सीख मिलती है की, बहुत सारे लोग भी मोहन की तरह सोचते है, उन्हें अपने जिंदगी से कई प्रकार की शिकायत होती है जैसे की मेरा घर अच्छा नहीं है, मेरी नौकरी अच्छी नहीं, मेरी शकल अच्छी नहीं है।

पर क्या ऐसा सच में होता है, कभी दुसरो के नजर से भी अपनी जिंदगी को देखना चाहिए। जब आप दुसरो की नजर से अपनी जिंदगी को देखोगे तो आपको पता चलेगा की आपकी लाइफ दुसरो से बहुत अच्छी है।

दोस्तों ये कहानी सोचने का नजरिया (Sochne Ka Najariya) आपको कैसी लगी और अगर इस पोस्ट के लिए आपका कोई सुझाव है तो हमें अवश्य बताये। धन्यवाद।


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