समूह की शक्ति की कहानी: साथ मिलकर जीवन को सार्थक बनाएं” एक बहुत ही गहराई का विषय है, जो साझेदारी की महत्वपूर्णता को समझाता है। इस कहानी में यह बताया गया हैं कि जब व्यक्तियों ने साथ मिलकर काम किया, तो उन्होंने अपने सामान्य जीवन को कैसे अद्वितीय बना लिया।
समूह की शक्ति की कहानी
एक जंगल में एक पुराने पेड़ के नीचे मिट्टी से बना बहुत बड़ा टीला था। उस टीले के एक बिल में बहुत ही मोटा और विशाल एक सांप रहता था। वह बहुत भयानक और विषैला सांप था।
उसने पेड़ के आस पास रहने वाले सभी जानवरों को परेशान करके रखा था, वह अपने शक्ति और दुष्टता की वजह से, किसी को कुछ नहीं समझता था। उस सांप की वजह से जंगल के सभी जानवर परेशान हो गए थे।
एक दिन और सांप बहुत ही गुस्से में होकर फूफकारते हुए अपने बिल से बाहर निकला और बहुत जोर से अपने पूछ को पटकने लगा । उसके पूछ के पटकने से आसपास रहने वाली कुछ चीटिया घायल हो गई।
उन्होंने दर्द से कहारते हुए सांप से कहां, अरे दुष्ट सांप, क्या तुझे कुछ भी दिखाई नहीं देता, हमने तेरा क्या बिगाड़ा था जो तू हमें बिना किसी कारण के ही घायल कर दिया।
सांप ने उनकी ओर घमंड की नजरों से देखते हुए कहां – अरे कमजोर चीटियां तुम लोग नहीं जानती जिनके पास शक्ति होती है वह तुम्हारे जैसे चींटे चींटीयों और तुक्ष एवं शक्तिहीन प्राणियों को नहीं देखा करते तुम लोगों को स्वयं मुझसे दूर रहना चाहिए।
तभी कुछ देर बाद उन सभी चीटियों के प्रधान ने उस सांप से कहा – तू अपनी शक्ति के घमंड में डूब गया हैं। इसलिए तुझे कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा है। लेकिन तू नहीं जानता की समूह की शक्तियों का ज्ञान क्या होता है।
जब प्रजा राजा से क्रोध हो जाती हैं। तब चाहे राजा कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, या फिर उसके पास विशाल सेना भी क्यों न हो, प्रजा की एकता के सामने सब बेकार हो जाता हैं।
सांप उनकी बातो पर थोड़ा सा मुस्कुराया और फिर अपने वापस अपने बिल में चला गया। चीटियों के प्रधान ने गुस्से में सभी चीटियों से कहा – इस दुष्ट सांप को समूह की शक्ति का ज्ञान करना बहुत जरुरी हैं।
वरना यह और भी ज्यादा उदंड हो जायेगा। जो हद से ज्यादा अत्याचार करने लगे उसको समय रहते ही कुचल देना चाहिए, नहीं तो वह पूरे समाज का विनाश कर देता हैं।
अपने प्रधान के आदेश का पालन करते हुए सभी चीटियों ने सांप के बिल के मुख पर ढेर सारे काँटों को बिछा दिया। रात हुई सांप अपने बिल से बाहर निकला तो उन काँटों की रगड़ से बुरी तरह से घायल हो गया।
उसके शरीर में जगह जगह पर घाव हो गया। बहुत सारी चींटीया उसके घाव को खाने लगी। जब वो उसके घाव को खाने लगी तब सांप को और ज्यादा दर्द होने लगा। और सांप व्याकुल होकर तड़पने लगा।
उसके तड़पने से कुछ चींटीया मर भी गई। और फिर सांप भी तड़प तड़प कर मर गया। इसलिए कहा गया हैं की समूह की शक्ति से कभी भी दुश्मनी नहीं करनी चाहिए।
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